ये खबर एक फरार बहू की नहीं, बल्कि एक टूटते परिवार की कहानी है। यह कहानी है उस सिस्टम की, जिसमें पीड़ित को अपराधी बना दिया जाता है, और कानून की वर्दी अन्याय पर चुप्पी साध लेती है। घटना नगर पंचायत घुघली के वार्ड नंबर 10 सुबास नगर की है, जहां एक बुजुर्ग शिक्षक का परिवार आज न्याय के लिए दर-दर भटक रहा है।
गुलाब चंद मद्धेशिया एक अवकाश प्राप्त शिक्षक, जो ईमानदारी से जीवन भर बच्चों को संस्कार सिखाते रहे, आज खुद अपने सम्मान और परिवार को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने अपने छोटे बेटे हरिओम मद्धेशिया की शादी बड़े अरमानों से वर्ष 2024 में कुशीनगर जिले के पड़री गांव की लड़की रीमा से करवाई थी। लेकिन शादी के बाद से ही बहू और पति के बीच तनाव बना रहा। झगड़े, तकरार और कलह ने घर की शांति छीन ली थी।
गुलाब चंद बताते हैं कि 12 अप्रैल को बहू रीमा और बेटे हरिओम के बीच तीखी मारपीट हुई थी। अगले दिन जब हरिओम काम से बाहर गया, तब रीमा ने अपनी मां, भाई और दो अज्ञात युवकों को बुलाकर घर के सारे जेवरात, नकदी और कीमती सामान समेटे और बिना किसी को कुछ बताए फरार हो गई।
14 अप्रैल को गुलाब चंद मदद की उम्मीद लेकर घुघली पुलिस चौकी पहुंचे। लेकिन यहां उन्हें वो मिला जिसकी शायद उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी।चौकी इंचार्ज रमेश चंद्र वरुण ने उन्हें न केवल टालने की कोशिश की, बल्कि खुलेआम गालियां देते हुए चौकी से भगा दिया।
एक बुजुर्ग शिक्षक, जिसकी बहू घर लूटकर भाग गई थी, वही अगर चौकी में अपमानित होकर लौटे, तो इंसाफ की उम्मीद किससे करें?
गुलाब चंद ने इसके बाद पुलिस अधीक्षक महराजगंज, डीआईजी गोरखपुर और अन्य विभागीय अफसरों को रजिस्टर्ड डाक से प्रार्थना पत्र भेजा लेकिन न कोई जांच हुई, न कोई कार्रवाई।
और फिर 25 मई को कहानी ने दर्दनाक मोड़ ले लिया।
जिस बहू पर चोरी और साजिश का आरोप था, उसी की तहरीर पर पीड़ित परिवार के चार सदस्यों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का मुकदमा (संख्या 0196/2025) दर्ज कर लिया गया।
आरोपियों में हरिओम मद्धेशिया, गुलाब चंद मद्धेशिया, उनकी पत्नी दुर्गावती देवी और बहू गीता मद्धेशिया शामिल हैं।
उन पर भारतीय न्याय संहिता की धाराएं BNS-85, BNS-115(2), BNS-351(3) और दहेज प्रतिषेध अधिनियम की धारा 3 व 4 के तहत मुकदमा लिखा गया है।
अब पूरा परिवार पुलिस के रडार पर है, और बहू, जो घर लूटकर गई थी, कानून की नजरों में ‘पीड़िता’ बन बैठी है।
गुलाब चंद कहते हैं, हमने सिर्फ इंसाफ की मांग की थी, बदले में गालियां, अपमान और झूठा मुकदमा मिला। क्या यही है इस देश का कानून? बहू जो लाखों के गहने लेकर गई, उस पर एक भी सवाल नहीं, और हम अपराधी बन गए?”
अब यह मामला सिर्फ एक परिवार की लड़ाई नहीं, बल्कि पुलिस की निष्क्रियता, पक्षपात और सिस्टम की खामियों का आईना बन गया है।
स्थानीय लोग भी मानते हैं कि अगर समय रहते पुलिस ने गुलाब चंद की शिकायत पर कार्रवाई की होती, तो यह स्थिति नहीं आती।
यह खबर एक चेतावनी है – कि जब न्याय की चौखट पर खड़े बुजुर्ग को भी धक्का दे दिया जाए, तो समाज में भरोसे की नींव दरकने लगती है।
गुलाब चंद आज भी फाइलें लिए दर-दर भटक रहे हैं।
और ये सवाल अब भी अधूरा है:
क्या उन्हें कभी न्याय मिलेगा?
या फिर यह मामला भी उन हजारों कहानियों में शामिल हो जाएगा, जो सिर्फ खबर बनकर रह जाती हैं…
बहू घर लूटकर फरार, पीड़ित परिवार पर ही मुकदमा: घुघली के बुजुर्ग शिक्षक की आपबीती बनी सिस्टम पर सवाल
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News Desk
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